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सरसैया घाट को मिली पुरानी पहचान, करौली शंकर महादेव ने लिया था प्रण

कानपुर: लौटी घाट पर करौली शंकर महादेव ने यह प्रण लिया है की ऐतिहासिक सरसैया घाट को उसकी पहचान और दिव्यता फिर से वापस दिलाई जाएगी। इसी कड़ी में हवन पूजन के साथ साथ करौली शंकर महादेव के सानिध्य में भक्तों ने गंगा के आसपास मौजूद गंदगी को अपने हाथों से साफ किया और प्रण लिया की मां गंगा के किनारों को स्वच्छ करेंगे।

दिव्य हवन के बाद इस घाट न नज़ारा कुछ और ही

बात अगर सरसैया घाट की कि जाए तो देखा गया कि सावन के बाद से गंगा कहीं ना कहीं घाटों से दूर चली जाती है। सरसैया घाट का भी नज़ारा कुछ ऐसा ही था। श्रद्धालुओं को गंगा स्नान करने के लिए रेती के आसपास गंदगी से होकर गुजरना पड़ता था। इसके चलते जमे गंदे पानी से गुजरने के लिए टेंपरेरी चार पुल भी बनाए गए थे। गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं को उसे पार करके जाना पड़ता है। हालांकि, बीती 10 मार्च को करौली शंकर महादेव द्वारा निकाली गई तपस यात्रा और उनके द्वारा सरसैया घाट पर किए गए अमावस्या के दिव्य हवन के बाद से सरसैया घाट पर एक अद्भुत दृश्य देखने को मिला।

जो गंगा मां कहीं ना कहीं घाटों से दूर चली गई थी, करौली शंकर महादेव द्वारा सरसैया घाट पर किए गए दिव्य हवन के बाद से दोबारा घाटों पर मां गंगा वापस आती नजर आ रही हैं। यहां के लोगों का कहना है वैदिक हवन में दिव्याता है, जिसके कारण से एक बार फिर से सरसैया घाट पर मां गंगा दोबारा से इस स्वरूप में आती दिख रही हैं। अब इसे चमत्कार कहें या कुछ और लेकिन हकीकत तो यही है कि जहां सरसैया घाट पर 10 मार्च से पहले रेती पर गंदगी व्याप्त थी और गंगा मां दूर थीं,  वहां अब घाट के पास आ गई हैं।

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