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करौली शंकर महादेव धाम भारत व नेपाल आश्रम में धूमधाम से मनाया गया भगवान श्री परशुरामजी का जन्मोत्सव

करौली शंकर महादेव धाम भारत व नेपाल आश्रम में धूमधाम से मनाया गया भगवान श्री परशुरामजी का जन्मोत्सव

Karauli Shankar News: करौली शंकर महादेव धाम कानपुर और करौली शंकर महादेव धाम नेपाल के आश्रमों में भगवान श्री परशुराम जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया. आश्रम में मौजूद भक्तों को गुरुदेव द्वारा भगवान श्रीपरशुरामजी के चरित्र से जुड़ी कथाएं भी सुनाई गई. उन्होंने बताया की परशुराम विष्णुजी के छठवें अवतार हैं। ये चिरंजीवी होने से कल्पांत तक स्थायी हैं। इनका प्रादुर्भाव वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हुआ, इसलिए उक्त तिथि अक्षय तृतीया कहलाती है।

भगवान श्रीपरशुराम चरित्र मानस लिखने की तैयारी

इस दौरान आश्रम में मौजूद भक्तों को गुरु जी के द्वारा भगवान श्री परशुराम जी के चित्र को भी दिया गया. करौली शंकर महादेव ने बताया कि दरबार द्वारा एक टीम बनाई गई है. जिसके द्वारा जल्द ही श्री रामचरितमानस की तरह भगवान श्री परशुराम चरित्र मानस लिखने की तैयारी की जा रही है . जिससे लोग अपने दिमाग में मौजूद भ्रांतियां हटा पाएंगे और परशुरामजी के चरित्र को ठीक से समझ पाएंगे. करौली शंकर महादेव ने कहा कि जैसी स्मृतियां होती हैं वैसा ही इंसान पैदा होता है.

शंकर सेना ने महापौर को दिया ज्ञापन, जानिए क्या है मामला

इस दौरान करौली शंकर महादेव ने बताया शंकर सेना के प्रदेश अध्यक्ष सुबोध चोपड़ा एवं शहर अध्यक्ष विशाल बाजपेई एवं विनय वर्मा द्वारा महापौर प्रमिला पांडे को एक ज्ञापन दिया गया है जिसमें जेल रोड चौराहे का नाम बदलकर भगवान श्री परशुराम चौराहा किए जाने की मांग की गई है. उन्होंने कहा कि दरबार द्वारा वहां पर भगवान श्री परशुरामजी की एक भव्य प्रतिमा लगाई जाएगी. करौली शंकर महादेव ने कहा कि नगर निगम को वहां एक भी रुपए खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. उस चौराहे की साज सज्जा सुंदरीकरण का खर्चा दरबार द्वारा वहन किया जायेगा. बस कागजों में चौराहे का नाम भगवान श्री परशुराम चौराहा अंकित करके सदन में पारित करना है.

साथ ही गुरु जी ने उन पार्षदों का भी धन्यवाद अदा किया जिन्होंने शंकर सेना को अपना सहमति पत्र दिया है कि उस चौराहे का नाम परशुराम चौराहा रखा जाए. करौली शंकर महादेव ने कहा कि भगवान श्री परशुरामजी के मंदिर जगह-जगह होने चाहिए. जिससे की हम उनके नाम को याद करते रहे. केवल अक्षय तृतीया के दिन उनके जन्मोत्सव पर ही उनके नाम को याद ना करें.

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